वै लखि आए राम रजा -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

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राग मारू
रावण-मंदोदरी-संवाद


 
वै लखि आए राम रजा
जल कैं निकट आइ ठाढ़े भए, दीसति बिमल ध्वजा।
सोबत कहा चेत रे रावन, अब क्यौं खात दगा?
कहति मँदोदरि सुनु पिय रावन, मेरी बात अगा।
तृन दसननि लै मिलि दसकंधर, कंठनि मेलि पगा।
सूरदास प्रभु रघुपति आए दहपट होइ लँका॥114॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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