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श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
द्वादश शतकम्
आकाश से फूलों की वर्षा हो रही है, देवतागण दुन्दुभि बजा रहे हैं, दिव्य उन्नत्त करने वाली मलयाचल की पवन प्रवाहित हो रही है। अद्भुत चंद्रमा का प्रकाश भी हो रहा है। विपुल पुलिनों से सुशोभित श्रीवृन्दावन में पराग इधर उधर विकीर्ण हो रहा है, इस प्रकार अपनी सखी मण्डली में विचित्र नृत्य परायण श्रीराधा-कृष्ण का स्मरण कर।।98।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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