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श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
द्वादश शतकम्
श्रीवृन्दावन के अपरिमेय गुणविस्तारी शास्त्र को क्या तुमने पढ़ लिया है? श्रीयुगलकिशोर के मधुर-वृन्दावन के रतितत्त्व विषयक शास्त्र को भी क्या अच्छी प्रकार तुमने पढ़ा है? ।।4।।
श्रीवृन्दावन में विद्युत सहित जो छाई हुई मेघ माला है, उससे हर दिशा में श्रीकृष्ण-रसोन्मत्त जीवों के नेत्र कमल पहले तो गल दश्रुओं से युक्त होते हैं एवं फिर गगन मण्डल से अविरल जलवृष्टि होने लगती है।।5।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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