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श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
दशमं शतकम्
सुस्निग्ध, सकुमार एवं सुन्दरतर स्वादन वर्षाकरी, सुन्दर ज्ञान एवं सुन्दर कांति युक्त, सुशीतलतर छाया युक्त, सुन्दर पुष्पों से शोभित, सुगन्ध मधुयुक्त सुन्दर फलों से आस्वादनीय एवं शुभ पत्र पल्लव सहित श्रीकृष्ण में उज्ज्वल स्वभाव वृक्षवृन्द प्रकाशित हो रहे हैं।।102।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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