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श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
व्रजविभूति श्रीश्यामदास
‘श्रीश्यामलाल हकीम’
लीलाप्रवेश
सन्त-सज्जन-गुरु-गोविन्द की कृपा से गौड़ीयदर्शन में पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त उनके पुत्रद्वय डाॅ. गिरिराज कृष्ण एवं डाॅ. भागवत कृष्ण, उनके साहित्य-सेवा कार्य को वर्तमान में संचालित कर रहे हैं, इस विश्वास के साथ कि गुरु-शास्त्र-सज्जन-संतजनकृपा से ही ग्रन्थ-सेवा प्रचार-प्रसार संभव है। श्री श्याम दास जी द्वारा दिनांक 5 नवम्बर 2005 को रचित अन्तिम पद पार्थ सारथि परम निस्वार्थी, किन्तु स्वार्थी जमाने में। जय श्रीराधे |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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