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श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
पष्ठ शतकम्
श्रीमद्वृन्दावन के नवलता-मन्दिरों में लक्ष्मीकांत के भी ध्यान करने योग्य किसी एक अद्भुत मधुकर द्वारा अन्वेषित श्रेष्ठ रसानन्द के सब सारभूत श्रीराधा के युगलपद कमलों का दासत्त्व ही मेरे आश्वास की वस्तु हो- यही मेरी प्रार्थना है।।87।।
जहाँ के प्रति कंकड़ में चिन्तामणि समूह प्रकाशित होते हैं प्रति रजकण में रसिक श्रीराधा-कृष्ण के पद-चिह्न पुंज प्रकट होते हैं, नाना वर्ण की उज्ज्वल मणियों से खचित चिद्रसमय अपार कांतियुक्त श्रीमद्वृन्दावन के श्रेष्ठ भूमि-मण्डल को मैं सम्यक्रूप से स्मरण करता हूँ।।88।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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