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श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
तृतीय शतकम्
जाती वन, यूथिकावन, नवीन प्रफूल्लित मल्लिका के वनो से, वासन्ती वन, नव केतकी वन एवं नव सुन्दरता पूर्ण मालती के वनों से, यावन्त्या, वन, झिण्टी वन, नवशोभित शोफालिका वन, विकासित होने वाले नव मल्लिका के नवीन वनों से एवं सुन्दर स्वर्णयूथिका के वनों से शोभित-।।101।।
पुन्नाग, करवीर, मरुवक, सुन्दर कर्णिकार, मनोहर कुंज, कुन्दवन, अशोक, वकुल, भूमिचम्पक, चम्पक, अम्लान, स्थलपद्म, दमनक, दिव्य दिव्य शिरीष वृक्ष, सब ऋतुओं में खिलने वाले नवीन नवीन सुगन्धियुक्त पुष्प वृक्षों के द्वारा मनोहारी।।102।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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