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श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
द्वितीयं शतकम्
कोई-कोई गोप बाला उत्तम कुंकुम सहित चन्दन घर्षण कर रही है, कोई माला रचने में संलग्न हैं, कोई कोई केलिनिकुञ्ज सुसज्जित कर रही हैं तो कोई जल ला रही हैं, कोई नवीन-नवीन अलंकारों को संग्रह कर रही हैं, और कोई-कोई व्यग्रचित्त से खाने पीने आदि की चेष्टा में बहुत देर से लगी हुई हैं।।41।।
कोई कोई नवीना गोप बाला उत्तम ताम्बूल वीटिका आदि के निर्माण करने में संलग्न है, कोई नृत्य, गीत, वाद्यादि की उत्तम-उत्तम कला विद्या दिखाने वाली वस्तुओं का आयोजन कर रही हैं, और कोई कोई स्नान-उबटनादि की सामग्री संग्रह कर रही हैं, और कोई पंख हाथ में लेकर पास में खड़ी होकर श्री अंक की सेवा के लिये अतिशय मुदित हो रही हैं तथा और कोई सब विषयों की देखभाल कर रही हैं।।42।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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