विनु वोले पिय रहियै जू।
नाही कही गहै कह ताकौ, अब ऐसी जनि दहियै जू।।
मौन रहौ तौ कछू गँवावहुँ, इन बातनि कछु लहियै जू?
सौह कहा करिहौ सुनि पावै, सनमुख ह्वै धौ कहियै जू।।
एते पर बकवादनि लागे, कैसै रिस मन सहियै जू।
'सूरदास' प्रभु रसिक सिरोमनि, रसिकहिं सब गुन चहियै जू।।2560।।