वह सुख कहौं काकैं साथ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग घनाश्री


  
वह सुख कहौं काकैं साथ।
सखा हमकौ मिले ऊधौ, बकन मारत माथ।।
भजन भाव बिना नहीं सुख, कहाँ प्रेमऽरु जोग।
काग हंसहि संग जैसौ, कहाँ दुख कहँ भोग।।
जगत मैं यह संग देखौ, बचन प्रति कहै ब्रह्म।
‘सूर’ ब्रज की कथा कासौ, कहौ यह करै दभ।। 3417।।

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