वराह जयन्ती

वराह जयन्ती भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि को भगवान विष्णु ने वराह अवतार लिया था, और हिरण्याक्ष नामक दैत्य का वध किया। भगवान विष्णु के इस अवतार में श्रीहरि पापियों का अंत करके धर्म की रक्षा करते हैं। वराह जयन्ती भगवान के इसी अवतरण को प्रकट करती है। इस जयन्ती के अवसर पर भक्त लोग भगवान का भजन-कीर्तन व उपवास एवं व्रत इत्यादि का पालन करते हैं।

मंत्र

भगवान विष्णु से प्रेम करना भी और बैर करना भी, दोनों ही अच्छे हैं। जो भी व्यक्ति उनसे प्रेम करता है, वह भी विष्णु लोक में जाता है, और जो बैर करता है, वह उनसे दण्ड पाकर विष्णु लोक में जाता है। प्रेम और बैर भगवान की दृष्टि में दोनों बराबर हैं। इसीलिए तो कहा जाता है कि भगवान सब प्रकार के भेदों से परे है। वराह जयन्ती के दिन भगवान की पूजा में निम्न मंत्र का जाप करना चाहिए-

ॐ वराहाय नमः ॐ सूकराय नमः ॐ धृतसूकररूपकेशवाय नमः


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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