लोग कहते यहाँ अति सुख-साज है -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा माधव लीला माधुरी

Prev.png
राग गुनकली - ताल रूपक


लोग कहते यहाँ अति सुख-साज है।
देखता मैं, छा रहा दुख-राज है॥
है नहीं तेरे बिना सुख एक पल।
चिा अधिकाधिक हु‌आ जाता बिकल॥
बिलखते यों पड़े सहसा भूमि पर।
दौड़ मैंने ले लिया निज गोद सिर!
हाय! इतने में तुरत मैं जग गयी!
अग्रि दारुण प्राण में बस, लग गयी॥
सोचती हूँ, तभी से मैं मन दिये।
हो रहे क्यों विकल प्रिय मेरे लिये॥
रूप-गुण से हीन तुच्छ नगण्य मैं।
कुमति, कुत्सित-भाव नित्य जघन्य मैं॥
है रिझाने को नहीं गुण एक भी।
निन्दनीय नितान्त दोष भरे सभी॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः