श्रीकृष्णांक
लोकनायक श्रीकृष्ण
कहा जाता है कि जिसे किसी का आसरा नहीं उसे महादेव के यहाँ आश्रय मिलता है अन्धे, पन्डु, अन्पड़ और पागल ही नहीं बल्कि भूत-प्रेत विषधर सर्प वगैरह भी महादेव के पास आश्रय पा सकते है विष्णु की कीर्ति इस रूप में नहीं गायी गयी, फिर भी वह दीनानाथ है श्री कृष्णवतार तो दीन-दुखी और दुर्बलों के लिये ही था। श्रीकृष्ण लोकावतार हैं। दशरथी श्रीराम को हम राजा रामचन्द्र कहते हैं। श्रीकृष्ण को राजा श्रीकृष्ण कहें तो कानों में कैसा खटकता है ! हालाँकि श्रीकृष्ण बड़े-बड़े़ सम्राटों के भी अधिपति थे, तो भी वे जनता के आदमी थे। बचपन में उन्होंने ग्वाले का धन्धा किया। बडे़ होने पर सारथी बने। राजसूय यज्ञ- जैसे राजनैतिक उत्सव में स्वयं जूठी पत्तलें उठाने का काम अपने लिये पसन्द किया। कौन लोकनायक आज इतना निष्पाप जीवन बिता सकता है ? श्रीकृष्ण ने इन्द्र के गर्वज्वर का हरण किया, ब्रह्मा के ज्ञानगर्व का शमन किया, ऋषियों को अपना रहस्य समझाया, नारदा का मोह दूर किया, फिर
भी स्वयं तो अन्ततक गोप-बन्धु ही बने रहे।
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | विषय | पृष्ठ संख्या |