ललिता संग सखिनि कौ लीन्हे -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिभास


ललिता संग सखिनि कौ लीन्हे।
दंपति सुख देखति अति भावत, इकटक लोचन दीन्हे।।
प्यारी स्याम अंग की सोभा, निदरे देख्यौ चाहत।
उत नागर नागरि नैननि कौ, निदरि, रूप अवगाहत।।
उत उदार सोभा की सीवाँ, इत लोभहिं नहिं पार।
'सूर' स्याम अँग अँग की सोभा, निरखति बारंबार।।2127।।

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