लछिमन नैन नीर भरि आए -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

Prev.png
राग सारंग
लक्ष्‍मण का उत्तर


  
लछिमन नैन नीर भरि आए ।
उत्तर कहत कछू नहिं आयौ, रहे चरन लपटाए।
अंतरजामी प्रीति जानि कै, लछिमन लीन्‍हें साथ।
सूरदास रघुनाथ चले बन, पिता-वचन धरि माथ॥37॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः