लकड़ी एक अनार की -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा कृष्ण जन्म महोत्सव एवं जय गान

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राग भैरवी - ताल कहरवा


लकड़ी एक अनार की।
जै बोलो गोप-कुमार की॥
लकड़ी एक प्रियाल की।
जै बोलो नँद के लाल की॥
लकड़ी एक पलास की।
जै बोलो जगन्निवास की॥
लकड़ी एक खजूर की।
जै बोलो रस-भरपूर की॥
लकड़ी एक बदाम की।
जै बोलो रूप ललाम की॥
लकड़ी एक बबूल की।
जै बोलो जग के मूल की॥
लकड़ी एक सुपारी की।
जै बोलो बिपिन-बिहारी की॥
लकड़ी एक अँजीर की।
जय बोलो प्रेम-‌अधीर की॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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