लंकपति अनुज सोवत जगायौ -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

Prev.png
राग मारू
कुंभकरण-रावण-संवाद


 
लंकपति अनुज सोवत जगायौ।
लंकपुर आइ रघुराइ डेरा दियौ, तिया जाकी सिया मैं लै आयौ।
तैं बुरी बहुत कीन्ही, कहा तोहिं कहौं छाँडि़ जस, जगत अपजस बढ़ायौ।
सूर अब डर न करि जुद्ध कौ साज करि, होइहै सोइ जो दई-भायौ॥142॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः