रीझत ग्वाल रिझावत स्याम।
मुरलि बजावत, सखनि सुदामा लै-लै नाम।।
हंसत सखा सब तारी दै-दै, नाम हमारौ मुरली लेत।
स्याम कहत अब तुमहुँ बुलावहु, अपने कर तैं ग्वालनि देत।।
मुरली लै-लै सबै बजावत, काहू पै नहिं आवै रूप।
सूर स्याम तुम्हरे मुख बाजत, कैसैं देखौ राग अनूप।।1217।।