विषय सूचीरासपञ्चाध्यायी -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वतीगोपियों का समर्पण-पक्ष‘भवान भ भयदा यमदूता सन्ति अस्य अस्तीति भवान?’ अरे, ऐसी क्रूर वाणी तो पापियों को यमलोक में सुनाई जाती है, हम कोई पापिनी नहीं है, हम तो पाप-पुण्य दोनों को छोड़कर तुम्हारे पास आयी है- ‘मैवं विभोऽर्हति भवान गदितुं नृशंसं’ बाबा! आपको ऐसा नृशंस बोलना उचित नहीं है। प्रेम में दो होते हैं। एक प्यार और एक अस्वीकार है। दुनिया को छोड़ना और प्रभु को पकड़ना। ‘सन्त्यज्य सर्वविषयांस्तव पादमूलम्’ श्री शुकदेवजी महाराज ने कहा था कि गोपियों ने श्रीकृष्ण की प्राप्ति के लिए संपूर्ण कामनाओं का परित्याग कर दिया है- ‘विनिवर्तितसर्वकामाः’ शुकदेवी ने यह गवाही दी थी कि गोपियाँ हृदय से सांसारिक विषय को नहीं चाहती है। लेकिन ये स्वयं ऐसी बात कह रही हैं कि हम केवल निष्काम कहलाने योग्य नहीं हैं। क्यों? ये कहती हैं कि हम निष्काम भी हैं और त्यागी भी हैं। हम स्वरूप से विषय का परित्याग करके आयी हैं। माने हम संन्यासिनी हैं। ‘सन्त्यज्य सर्वविषयान्’ हम सारे विषयों का सम्यक त्याग करके आपके पादमूल को प्राप्त हुई हैं। ‘तव पादमूलम भक्ताः’ गोपियों के प्रेम का दो अंक हुआ। त्याग हुआ और संत्याग हुआ- त्याग नहीं है, सम्यक् त्याग। क्या सम्यक् त्याग है कि विषयों का स्वरूप से ही त्याग है, भला! जो भोजन करते-करते छोड़कर आवे, पति को परसते-परसते आवे, कपड़ा पहनते पहनते आवे, अञ्जन लगाते-लगाते आवे, उसके चित्त में भगवत्प्राप्ति के लिए कितनी त्वरा है, जरा सोचो तो। वह तो ऐसा है कि मोटर की इन्तजार न करे, ट्रक पर दौड़कर बैठ जाय, ऐसी त्वरा है। यह त्वरा, त्वरक, ट्रक बन जाती है। त्वरा से जो सामग्री को पहुँचा दे उसका नाम त्वरक है। तो सन्त्यज्य का अर्थ है कि स्वरूप से विषयों का त्याग करके जो किसी को छोड़ेगा कि नहीं वह किसी को पकड़ेगा भी क्या? जिसमें त्याग का सामर्थ्य नहीं है, उसकी निष्ठा में दृढ़ता नहीं आ सकती; निष्ठा दृढ़ होने के लिए त्याग की जरूरत पड़ती है। जो हमको पकड़ेगा वह सबको छोड़ने के लिए तैयार होगा, तब उसको पकड़ेगा। शुकदेव जी ने कहा था कि गोपी के हृदय में कामना नहीं है। और गोपी कहती है कि हमने विषय का परित्याग कर दिया। निष्कामता की बात तो शुकदेवजी ने कही, और त्याग की बात गोपियों ने कही। तो गोपियाँ निष्काम भी हैं और त्यागी भी हैं, संन्यासिनी हैं, श्रीकृष्ण के लिए संन्यासिनी हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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