विषय सूचीरासपञ्चाध्यायी -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वतीगोपी के प्रेम की परीक्षा-धर्म का प्रलोभनपति ब्राह्मण मारकर आवे या चोरी करके आवे और पत्नी पुलिस से पकड़वावे, यह उचित नहीं है। यदि पति ब्रह्मघाती भी हो, शराबी भी हो, चोर भी होवे, तो स्त्री को अपने पति की सेवा तो करनी चाहिए। माने उसको भोजन देना चाहिए, उसको जल देना चाहिए, उसको सुलाना चाहिए, उसको दवा देनी चाहिए, उसको सम्हालना चाहिए, पत्नी को तो अपने धर्म का पालन करन चाहिए; लेकिन आगे सन्तान भी वैसी न होवे, पतित सन्तान उत्पन्न न होवे- ब्रह्मघाती से, शराबी से, चोर से संन्तान उत्पन्न न होवे- इसके लिए उसको ब्रह्मचर्य से रहकर अपने पति की सेवा करनी चाहिए, उससे सन्तानोत्पादन नहीं करवाना चाहिए, ये इसके संबंध में प्राचीन शास्त्र का निर्णय है। इसलिए भगवान ने कहा-
यदि स्त्री दूसरे पुरुष के साथ संबंध रखे तो वह स्वर्ग से और यश से वंचित हो जाती है; उसको तुच्छ सुख की प्राप्ति है और नारायण। कष्ट मिलता है, भय मिलता है, निन्दा होती है। इसलिए स्त्री को इस संबंध में बहुत सावधान रहना चाहिए। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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