विषय सूचीरासपञ्चाध्यायी -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वतीभगवान ने वंशी बजायीअब भला। भगवान किसी को कहें कि तुम मेरे प्राण, तुम मेरे जीवन, तुम मेरे प्यारे, तुम मेरे सर्वस्व, और उसका दिल पिघल न जाय, पानी-पानी न हो जाय, तो कोई पत्थर ही होगा। लेकिन आपको आश्चर्य नहीं होना चाहिए- यह वंशी ध्वनि सुनकर के पत्थर भी समझते थे कि हमको पुकार रहे हैं भगवान और पिघल जाया करते थे, भला। पत्थर-पाषाण द्रवित हो जाया करते थे वंशी-ध्वनि सुनकर, वृक्ष से महासरण होता था, नदियाँ रुक जाती थीं, और पशु खाना-पीना छोड़ देते थे। वामदृशां मनोहरम्- कलं वामदृशां क+ल+ई (वामदृशा माने ई)+ अम (वामदृशां में जो ऊपर बिन्दी है सो) – क्लीं। तो ‘जगौ कलं वामदृशां’ का अर्थ हुआ कि जहाँ भगवान ने वंशी में ‘क्ली’- काम बीज का स्वर बजाया। वामदृशां- इसमें जरा गोपियों का वर्णन हैं। क्योंकि जहाँ कृष्ण का वर्णन हो वहाँ भक्तलोग आ जाते हैं और जहाँ भक्तों का वर्णन हो वहाँ भगवान आ जाते हैं। भगवान को भक्तों की कथा प्यारी लगती है; गोपियों की चर्चा हो तो श्रीकृष्ण तुरन्तर वहाँ आ जाएंगे। ऐसा कहते हैं कि कृष्ण का ध्यान करो तो भले ही कृष्ण न आवें लेकिन गोपी का ध्यान करो तो गोपी के चारो ओर मंडराते हुआ कृष्ण अवश्य आ जाएंगे। बिना कृष्ण के गोपी कहाँ? गोपी होगी तो उसके आसपास कृष्ण जरूर होंगे। कोई देखी गोपी, उसके पीछे-पीछे पाँव दबाकर चल रहे हैं कृष्ण और बगल में- से गोपी को देख रहे हैं और गोपी भी कनखियों से कृष्ण की तरफ ही देख रही है। इसलिए कृष्ण और गोपी दोनों ही वामदृशां हैं। इसलिए ‘वामदृशां’ का एक अर्थ यह है कि वामा दृशः याषाम जिनके नेत्र बहुत सुन्दर हों, उनको कहते हैं ‘वामदृक्’। स्त्री के नेत्र में – यहाँ गोपी के नेत्र में- सौन्दर्य होना चाहिए। तो स्त्री के नेत्र में सौन्दर्य क्या है और गोपी के नेत्र में सौन्दर्य क्या है? बोले- अँनियारे दीरघ चिती न तरुणि समान आँखें नुकीली हों और बड़ी-बड़ी हों, ये तो बहुत सी स्त्रियों की होती हैं। वह चितवनि औरैं कछु जिहि वश होत सुजान। पर गोपी की चितवन कुछ और ही है- उनका जो केवल श्रीकृष्ण की ओर देखना है उसके वश में होते हैं श्रीकृष्ण। नेत्रों मं सौन्दर्य क्या है? नेत्रों में सौन्दर्य उनकी बनावट नहीं है,- बावरी वै आखियाँ जरि जाँय जो साँवरो छाँड़ि निहारति गोरो। जो साँवरे सलोने नन्दनन्दन श्यामसुन्दर को छोड़कर दूसरे को देखती हैं वें आँखें जल जाँय। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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