विषय सूचीरासपञ्चाध्यायी -स्वामी अखण्डानन्द सरस्वतीरास-रात्रि में पूर्ण चंद्र का दर्शनएक बार की बात है। कल्याण-परिवार में ऐसा बढ़िया गुट इकट्ठा हुआ था- हनुमान प्रसाद पोद्दार तो थे ही, पंडित लक्ष्मण नारायण गर्दे (शरीर हो गया पूरा उनका), पण्डित नन्ददुलारे बाजपेयी (जो आजकल उज्जैन में कुलपति हैं, विक्रम विश्व विद्यालय में), पण्डित भुवनेश्वर प्रसाद मिश्र ‘माधव’ (जो डायरेक्टर हैं बिहार के शिक्षा विभाग में विहार राष्ट्रभाषा परिषद् के वही संचालक हैं) सब लोग इकट्ठे थे- गर्देजी ने पूछा- कि देखो दुनिया में मोर नाचते हैं बरसात में- वह चाहे विलायत का हो चाहे हिन्दुस्तान, अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका या एशिया का; कहीं का मोर हो, वह आसमान में बादल देखकर नाचने लगता है। तो यह बात तय हो गयी कि मोर का प्यारा है बादल। परंतु यह जो मनुष्य जाति है, इसका भी है कोई ऐसा प्यारा जिसको देख करके मनुष्य जाति प्यार में नृत्य करने लगे? अरे इसने तो अपना प्यार बिखेर दिया भाई! टुकड़े-टुकड़े कर दिया। कुछ यहाँ कुछ वहाँ। प्यार जब तक सिमटता नहीं, तब तक उसका मजा नहीं आता। प्यार में सात बातें होनी आवश्यक हैं (1) एक तो वह कभी टूटे नहीं। सर्वथाध्वंसरहितः सत्यपि ध्वंसकारणे । टूटने की चाहे कितनी वजह आवें- सत्यपि ध्वंसकारणे- टूटने की वजह साफ-साफ आ जाने पर भी जो कभी न टूटे ऐसा जो भावबन्धन है, दिल का दिल के साथ बँध जाना है, यह प्रेम की पहली चीज है। टूटना हो तो प्रेम काहे का? (2) दूसरी बात प्रेम में यह होती है कि महाकवि भवभूति बोलते हैं देखो- एक बार प्यारा आया तो उसने हथेली ठोंकी और दूसरी बार आया तो इतने जोर से चिकोटी काट गया कि खून निकल आया। एकबार खूब दर्द हुआ और एक बार खूब मजा आया। तो प्रेमी कौन है? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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