मीराँबाई की पदावली
विरह निवेदन राग प्रभाती
राम मिलण रो घणो उ़मावो, नित उठ जोऊँ बाटडियाँ ।।टेक।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मिलणरो = मिलने का। गणों = घना, गहरा। उमावो = उमंग, लालसा। बाटडियाँ = बाट, मार्ग। जक = चैन। आँखडियाँ = आँखों में। बीता = बीते। पाशडियाँ = फाँसी। साहिब = स्वामी, प्रियतम। दासडियाँ = दासी। बैठे = ठहरती। साँसडियाँ = साँस। आरति = उत्कट अभिलाषा। पासडियाँ = पास, निकट। लगण = प्रेम। छूटण = छूटने की। आँटडियाँ = आँट, बैर या उपेक्षा। पूरौ = पूरी करो। आसडियाँ = आशायें।
संबंधित लेख
क्रम संख्या | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज