मीराँबाई की पदावली
राग रागश्री
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मनुआँ = मनुष्य। बहाय दीजै = दूर कर दीजिए। रँग... भीजे = प्रेम में फँसिए। (देखो- ‘मनाँ भजि राम नाम लीजे। साध सगति सुमिरि-सुमिरि रसना रस पीजे’ - दादू )।
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