राधेहिं स्याम देखी आइ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग रामकली


राधेहिं स्याम देखी आइ।
महा मान दृढ़ाइ बैठो, चितै कापै जाइ।।
रिसहि रिस भई मगन सुंदरि स्याम अति अकुलात।
चकित ह्वै जकि रहे ठाढ़े कहि न आवै बात।।
देखि व्याकुल नंदनंदन, सखी करतिं बिचारि।
'सूर' दोऊ मिलै जैसै करौ सोइ उपचार।।2736।।

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