राधा ने दे दर्शन सुर-‌ऋषि को -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा कृष्ण जन्म महोत्सव एवं जय गान

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राग तर्ज लावनी - ताल कहरवा


राधा ने दे दर्शन सुर-‌ऋषि को कृपया कर दिया निहाल।
करने लगे स्तवन गद्‌‌गद हो प्रेमपूर्ण-दृग मुनि तत्काल॥
महायोगमयि मायाधीश्वरि तेजपुंज जननी जय-जय।
माधुर्यामृतवर्षिणि कृष्णाकर्षिणि कृष्णात्मा जय-जय॥
परमेश्वरि रासेश्वरि नित्य-निकुञ्जेश्वरि ह्लादिनि जय-जय।
नित्याचिन्त्य अनन्त अनिर्वचनीय रूप-गुण-निधि जय-जय॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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