विषय सूची
श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीगोपदेवी-लीलादेवी- किसोरी जू, आप तौ यहाँ बैठी हौ और आप के प्यारे नंदगाँव होंय अथवा बन में गैया चराय रहे होंय। आप यहाँ सूं उन कौ स्मरण करौ और वे यहाँ आय जायँ, तब आप की बात कूँ सत्य मानूँगी।
श्रीजी- सखी, वह देबी कहाँ है? वाकौं अबहूँ विस्वास भयौ कि नाहीं। (दोहा)
श्रीजी- सखी, वह देबी कहाँ है? वाकौं अबहूँ बिस्वास भयौ कि नाहीं? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | विषय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज