राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 52

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीगोपदेवी-लीला

(सवैया)

मोतिन की सुथरी दुलरी बर, सोहत सुंदर सीस टिपारौ ।
आनन पानन रंग रच्यौ, निरखैं चखि चंचल लोचन तारौ ।।
गोकुल गाँव गली बिहरैं लिऐं कंजकली कर रूप उज्यारौ।
गुच्छन के अवतंस लसैं सिखिपिच्छन अच्छ किरीट बनायौ।
पल्लव लाल समेत छरी कर-पल्लव में मतिराम सुहायौ।।
गुंजन के उर मंजुल हार निकुंजन ते कढ़ि बाहर आयौ।
आज कौ रूप निहारि, सखी! हम आजहि आँखिन कौ फल पायौ।।

(राग भैरव, ताल चौताल)

ऐसे गोपाल निरखि तिल-तिल तन वारौं।
नवकिसोर मधुर मुरति सोभा उर धारौं।।
अरुन तरुन कंज नयन, मुरली कर राजै।
ब्रजजन-मन-हरन बैनु मधुर-मधुर बाजै।।
ललित बर त्रिभंग सु-तन बनमाला सोहै।
अति सुदेस कुसुम-पाग उपमा कौं को है।।
चरन रुनित नूपुर, कटि किंकिनि कल कूजै।
मकराकृति कुंडल छबि सूर कौन पूजै।।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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