श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीसाँझी-लीलाश्रीजी-
सखीयौ! साँझी के दिन आय गए हैं, सो चलौ बृंदाबन में सौं फूल बीनि ल्यावैं, ता पाछें अनेक रँगन के फूल भरि कैं ऐसी साँझी सजाऔ, जाकौं देखि कैं प्यारे स्याम सुंदर अति प्रसन्न होयँ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | विषय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज