राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 28

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीसाँझी-लीला

श्रीजी-
पद (राग धुन गारौ, तीन ताल)

बृंदाबन फूलन सौं छायौ ।
चलौ सखी फुलवा बीनन कूँ साँझी कौ दिन आयौ ।।
प्रेम-मगन ह्वै साँझी चीतौ, पचरँग रंग बनाऔ ।
बृंदाबन हित रूप लाल के मन में मोद बढ़ाऔ ।।

सखीयौ! साँझी के दिन आय गए हैं, सो चलौ बृंदाबन में सौं फूल बीनि ल्यावैं, ता पाछें अनेक रँगन के फूल भरि कैं ऐसी साँझी सजाऔ, जाकौं देखि कैं प्यारे स्याम सुंदर अति प्रसन्न होयँ।
सखी- हाँ, प्यारीजी! बृंदाबन में बड़े ही सुंदर फूल खिले हैं, अब बेगि ही पधारौ ।
(श्रीजी सब सखीन कूँ संग लै कैं बृंदाबन पधारैं) (पटापेक्ष)
श्रीकृष्ण-(बृंदाबन में विराजे हैं)

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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