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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीप्रेम-सम्पुट लीला(दोहा)
जैसैं एक सरोबर में एक नाल ते नील-पीत द्वै कमल खिले होंय, ऐसें ही रसरूपी अगाध सरोबर में एक आत्मारूपी नाल में नील-पीत हम दोनौं गौर-स्याम रूप सौं गुँथे भये सदैव रहैं हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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