राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 250

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीप्रेम-सम्पुट लीला

(दोहा)

जिमि इक सर ते प्रगट ह्वै एक कमल कौ नाल।
तामें प्रफुलित कुसुम द्वै नील पीत सुनि बाल।।
रसरूपी सर मध्य तिमि एक आतमा नाल।
गौर स्याम द्वै पुष्प हम, ग्रथित प्रान एक माल।।

जैसैं एक सरोबर में एक नाल ते नील-पीत द्वै कमल खिले होंय, ऐसें ही रसरूपी अगाध सरोबर में एक आत्मारूपी नाल में नील-पीत हम दोनौं गौर-स्याम रूप सौं गुँथे भये सदैव रहैं हैं।
(दोहा)

एक पात्र, एक बर्त्तिका द्वै मुख करत प्रकास।
उभय मूल कौ तिमिर जिमि करत परस्पर नास।।
एक आतमा पात्र में प्रेमरूप है तेल।
प्रानरूप एक बर्त्तिका, दो मुख प्रफुलित खेल।।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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