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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीप्रेम-सम्पुट लीला(दोहा)
जब राग आदि सौं मुक्त होय कैं मन सुद्ध है जाय और ग्यान-अग्यान इन दोनों अवस्थान सौं रहित होय है अर्थात् स्वाभाविक अवस्था में स्थित रहै है, वा मन में प्यारे के सुख में स्वाभाविक सुखी रहिबे की प्रवृत्ति कौ उदय ही प्रेम समझनौ चहिए।
(दोहा)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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