राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 240

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीप्रेम-सम्पुट लीला

(दोहा)

एक समय निसि सरद की कियौ रास-बिस्तार।
प्रगट प्रेम करि आप में कियौ अनेक बिहार।।

श्रीजी- कहा आपने हमारौ बिहार देख्यौ है? अब कैसौ रास भयौ, वाकौ बरनन करौ।
देवांगना- अवस्य, स्याम सुंदर कौ बिहार आदि सौं आंत तक मैंने देख्यौ है।
पद (राग सुधराई, ताल त्रिताल)

छर्र छोम छर्र छोम छर्र छोम बाजै, नंदनँदन नाचैं घुँघरू बाजैं।
छक् छक् छक् छर्र छोम छर्र छोम छर्र छोम बाजै।।
रास-बिलास रच्यौ हरि ब्रज में सरद रैन नभ बिमल चंद
चाँदनी छिटकि रही झुंड झुंड सखियाँ नाचैं।
तन मन मुक्ता भूषन साजें, छर्र छोम 3 बाजैं।।
कालिंदी कूलै फूल फूलि रहे बिबिध भाँति
नइ-नइ कलियाँ बिच स्याम बिराजैं।
चहूँ ओर रास होत पंछी नाचैं तथेइ थेइ चरन धिक्डान्
धाधा धिक्डान् धाधा धिक्डान् धाधा मृदंग बाजै।
छक् छक् छर्र छोम बाजै।।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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