राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 232

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

Prev.png

श्रीप्रेम-सम्पुट लीला

(पद)
(राग काफी, खमाज, त्रिवट, ताल त्रिकाल)

माधुरी धुनि बाँसुरी बाजी बीर! धीर बिसरी, हिय लागी नेह-कटरिया जिय
कसक उठी तीन ग्राम सप्त स्वरन सौं बाजी चरन चारुधुनि तिल्लान साजें
नादिर्ता नादिर्ता नादिर्ता नादिर्ता नवल ढंग चतुरंग सुत्रैवट धेक्ता धेक्ता किट
किट धा किट किट धा किट किट धा सां नि ध प म ग रे सा, सा
रे ग म प ध नि सां।।

हे किसोरी, स्वर्ग की कहा चलै है, ऐसी कोई जगह नहीं है कि जहाँ बंसी की धुनि न पहुँची होय।
श्रीजी- हे कृसोदरी! बंसी की धुनि स्वर्ग तें आगें और हू कहूँ-पहुँची?

देवांगना-

(पद)

मुरली धुनि बैकुंठ गई।
नारायन कमला सुनि दंपति अति रुचि हृदय भई।।
सुनौ प्रिया! यह बानी अद्भुत, बृंदाबन हरि देखैं।
धन्य-धन्य श्रीपति मुख कहि-कहि जीवन ब्रज कौ लेखैं।।
रास-बिलास करत नँदनंदन, सो हम सौं अति दूरें।
धनि ब्रज-धाम, धन्य ब्रज-घरनी उडि लागत वे धूरें।।
Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः