राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 23

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला

(पटापेक्ष)
(सखी दौरि कैं जसोदा जी सौं कहैं)
सखी-अरी मैया! देख, न जानें तेरे लाला कूँ कहा है गयौ। वाकूँ चेत ही नहीं होय है।
यशोदा- अरी, लाला है कहाँ?
सखी- खिरक में है।
यशोदा- (खिरक में पहुँचि कै कृष्ण कूँ देखनौं)
हाय! हाय! याकूँ तौ न जानें कहा है गयौ? काहू उपचारक कूँ बुलाऔ।
(श्रीकृष्ण की अनुहारि एक वैद्य, लतान सौं निकसि कैं आवैं)
वैद्य- मैया, याकौ मैं उपाय बताऊँ हूँ। मेरे पास ये एक हजार छिद्र वारौ कलस है, याकूँ कोई सती स्त्री लैकैं जमुना जी पै जाय वहाँ कन्हैयाँ के केस कौ एक सेतु बन्यौ भयौ है, वा सेतु पै तीन बार या पार सौं वा पार होय बीच धार सौं जल भरि कैं लावै, तब वा जल सौं लाला ठीक होयगौ।
यशोदा- वैद्यजी, ये बात तौ असंभव है।
वैद्य- व्रजरानी जी! सती की महिमा अपार होय है। सती सून्य पैं चलि सकै, आकास में जल स्थिर करि सकै। और यह ब्रज तौं सतीन के लिए विख्यात है।
वैद्य- हाँ, हाँ, आप तौ लाय सकौ, किंतु मैया के हाथ कौ जल या समय काम नहीं आय सकै।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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