विषय सूची
श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीप्रेम-प्रकाश-लीलाश्रीकृष्ण- प्रिये! धैर्य धारन करौ, अबहीं तौ प्रथम चरन है। अबहीं हमने जीवन-समूह के कल्याणार्थ तौ कछू कियौ ही नहीं है। अब कार्य प्रारंभ भयो है, सो आप सब जानौ हौ। आपनें गोलोक में जो सुदामा गोप कूँ श्राप दियौ और सुदामा नें आप कूँ मोते सौ बरस अलग रहिवे की बात कही, सोहू पूरी करनी हीं परैगी। आपनें ही या लीला की रचना करी है, अब याकूँ समयानुसार आप ही पूरी करौगी। यासौं जानि-बूझि भोरी मत बनौ। मेरे ऊपर सदैव ऐसी कृपा राखियौं, जासौ मैं सब कार्य में सफल होतौ रहूँ और याहू बात कौ आज निर्नय है जायगौ। अब आप घर पधारौ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | विषय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज