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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरासपञ्चाध्यायी लीलासखियाँ- हे धर्मशास्त्रीजी, पहिलें तो आप बिना ही पूछें धर्म बतावै हे; अब आप सौं धर्म-स्रवन की इच्छा सौं पूछैं हैं, सो आप बताऔ।
(श्लोक)
अर्थ- हे नटनागर! कोई तौ प्रेम करिबेवारेन ते प्रेम करैं हैं, कोई प्रेम न करिबेवारेन ते हू प्रेम करैं हैं। कोई दौनोन ते हू प्रेम नायँ करैं, प्यारे! इन तीनों न मैं आपकूँ कौन सौ अच्छौ लग है सो कहौ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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