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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरासपञ्चाध्यायी लीला(तुक)
अर्थ- तुम्हारे चरन कमल सौं हू सुकुमार हैं, उन कूँ हम अपने स्तवन पै डरते भये धीरे-धीरे धरैं हैं कि कहूँ उन में चुभ न जायँ। उनहीं चरनन सौं आप रात्रि के समय घोर बन में छिपते भये भटक रहे हौ। कहा काँकर-पत्थर के लगिबे ते उन में पीरा नहीं होय है? हम तौ या बात कूँ सोचत ही अचेत है रही है। श्रीकृष्ण, स्यामसुंदर, प्राननाथ, हमारौ जीवन आप के ही लिये हैं। आप के लिए ही हम जी रही हैं, हम आप की ही हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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