विषय सूची
श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरासपञ्चाध्यायी लीलाअर्थ- हे प्यारे, जब तुम दिन के समै बन पधारौ हौ, तब तुम्हारे बिना देखें आधौ छन जुग समान बीतै है। और जा समैं घूँघरवारे केसन सौं जुक्त आप के मुखकमल कौ दरसन करें हैं, वा समैं नेत्रन पै पलक बनायबेवारौ ब्रह्मा मूर्ख बिदित होय है।
अर्थ- हे स्यामसुंदर, हम पति-पुत्र, भाई-बंधुन कौ त्यागि गति के ज्ञाता तुम्हारे गीत तें मोहित है कैं तुम्हारे निकट आई हैं, हे कपटी, रात्रि के समैं आईं ऐसी स्त्रीन कौ तुम्हारे बिना कौन त्याग करि सकै है।
अर्थ- हे प्यारे! तुम्हारे एकान्त संकेत, काम की उद्दीपन करिबेवारे प्रेमभरी चितवन ते जुक्त हास्य, मुख और लक्ष्मी के निवासरूप तुम्हारे बिसाल हृदय कूँ देखि कैं हम कूँ बड़ी लालसा भई है। या कारन छन-छन में मन मोह कूँ प्राप्त होय है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | विषय का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज