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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरासपञ्चाध्यायी लीला(श्लोक)
(तुक)
अर्थ- आप के चरन कमल सरनागत प्रानीन के सब पाप नष्ट कर दैं हैं, उन ही चरनन सौं हमारे बछरान के पीछें फिरौ हौ। जो लक्ष्मीजी के निवासस्थान हैं, काली के फन पै नृत्य करनहारे उनहीं चरनारबिंदन कूं हमारे वक्षस्थल पै धारन करौ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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