राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 19

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला

(श्रीजी जल भरिबे पधारैं)

समाजी-

पद (राग खंभावती, तीन ताल)

कृष्ण दरस सौं अटकी ग्वालिन ।
बार-बार पनघट पै आवत, सिर जमुना जल-मटकी ।।
मन-मोहन कौ रूप-सुधा-निधि पिवत प्रेम-रस गटकी ।
कृष्नदास धनि-धन्य राधिका, लोक-लाज सब पटकी ।।


पद (राग देश, तीन ताल)

चितवनि रोकें हूँ न रही ।
स्याम-सुंदर सिंधु सनमुख सरिता उमगि बही ।।
प्रेम सलिल प्रबाह भँवरनि मिति न कबहुँ लही ।
लोल लहर कटाच्छ, घूँघट-पट करार ढही ।।
थके पलकन नाव धीरज परत नाँहि गही ।
मिली सूर समुद्र स्यामहिं फिरि न उलटि बही॥
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क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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