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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीरासपञ्चाध्यायी लीला
(श्लोक)
अर्थ- हे प्यारे, अब मैं थकि गई हूँ, अब आगें मोपै नायँ चल्यौ जाय। आप मोकूँ कंधा पै बैठाय लेऔ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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