राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 133

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीरासपञ्चाध्यायी लीला

हे प्यारे! आप यौं मति जानियौं कि ये सब बातैं यौं ही रहि जायँगी। इन सब बातन के पोथा बनैंगे और सभा में वक्ता बाँचि कै स्त्रोतान कूँ सुनावैंगे, तब आप कौ बड़ौ अपजस होयगौ। आप कूँ कोई भलौ न कहैगौ, यासौं माथौ नीचौ कियौ है।।14।।

हे प्यारे! प्रथम तौ आपने बन-बिहार के लिए हमें बुलाईं और अब हमारे मुखन कूँ देखि कैं छोभ करौ हौ सो ये छोभ प्रकट करायवेवारौ मुख आप कूँ दिखायबे जोग नहीं, यासौं मुख नीचौ कियौ है।।15।।

हे प्यारे! हम स्त्रीन की चंचलता कूँ धिक्कार है, जो हम ऐसे कठोर हृदय के पास चली आईं, जामें प्रीति कौ लेस हू नहीं है। यासौं नीचौ माथौ कियौ है।।16।।

(श्लोक)

मैवं विभोऽर्हति भवान् गदितुं नृशंसं संत्यज्य सर्वविषयांस्तव पादमूलम्।
भक्ता भजस्व दुरवग्रह मा त्याजास्मान् देवो यथाऽऽदिपुरुषो भजते मुमुक्षून्।।

हे सर्वसमर्थ प्रभो! हे हमारे प्रानबल्लभ! आप हमारे सब भावन कूँ जानिबेवारे हौ। हे स्वच्छंदबिहारी! आप परम कोमल सुभाव के होयके हूँ या प्रकार के निष्ठुरताभरे बचन क्यौं बोलौ हो, यह तौ आपकूँ सोभा नायँ देय है। हमने धर्म, लज्जा पति -स्वजनादि समस्त विषयन कूँ सर्वथा त्यागि कैं आपके चरन कमल की भजना करी है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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