हे प्यारे, जैसैं बधिक बन में जाय बिरहा राग बीन में बजावै है, वाकी मीठी धुनि सुनि कैं मृग भजे आवैं है, फिर उनकूँ तक-तक कैं बान मारै है और उनके प्रानन कूँ हरन कर लेय है, सो गति आपनें हमारी करी है। पहिलैं तौ आपनें मधुर बंसी बजाय हम सबन कूँ बुलाय लीनी, अब आप बचनरूपी बानन सौं बींधौ हौ। याते माथौ नीचौ कियें ठाड़ी हैं।।1।।
हे प्यारे, आप करुनामय रसिक-सिरोमनि कांत हैं, सब भगवान् कूँ जानिबेवारे हैं तौहू आपकी ऐसी बुद्धि है गई है- ये सब हमारे मंद भाग्य के कारन है। सो ये मंदभागी मुख आपकूँ दिखायबे योग्य नहीं, यासौं नीचौ माथौ कियौ है।।2।।
हे प्यारे, हम ब्रह्मा सौं कहैं हैं कि तैंने हम दुखियान कूँ दुख दैबे कूँ कमर बाँधी है, सो तोकूँ सौगंद है- जो तोपै अधिक ते अधिक दुख होय सो हमकूँ दै, यासौं नीचौ माथौ कियें ठाड़ी हैं।।3।।
हे प्यारे, आपके बचनरूप दावानल सौं हमारौ मनरूप तोता उड्यौ ही नहीं और जरि गयौ, यासौं माथौ नीचौ कियौ है।।4।।
हे प्यारे, हम पृथ्वी सौं कहैं हैं कि प्यारे ने तौ हमकूँ यह उत्तर दियौ; अब तू फटि जाय तौ हम तोमें समाज जायँ, यासौं माथौ नीचौ कियौ है।।5।।
हे प्यारे, आपके मुख सौं निकसी भई जो बचनरूप अग्नि की ज्वाला है, तासौं हमारो मुख भस्म न है जाय, यासौं माथौ नीचौ कियौ है।।6।।
देखौ, बीर! हमारे कुल के धर्म, धीरज, लज्जा-संपूर्ण स्वाहा कराय कैं बेनु-नाद सों बुलाय कैं अब पूछैं हैं कि तुम कैसैं आईं। अब हम कैसैं करें, कहाँ जायँ; याते नीचौ माथौ कियौ है।।7।।