राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 131

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीरासपञ्चाध्यायी लीला

हे प्यारे, जैसैं बधिक बन में जाय बिरहा राग बीन में बजावै है, वाकी मीठी धुनि सुनि कैं मृग भजे आवैं है, फिर उनकूँ तक-तक कैं बान मारै है और उनके प्रानन कूँ हरन कर लेय है, सो गति आपनें हमारी करी है। पहिलैं तौ आपनें मधुर बंसी बजाय हम सबन कूँ बुलाय लीनी, अब आप बचनरूपी बानन सौं बींधौ हौ। याते माथौ नीचौ कियें ठाड़ी हैं।।1।।

हे प्यारे, आप करुनामय रसिक-सिरोमनि कांत हैं, सब भगवान् कूँ जानिबेवारे हैं तौहू आपकी ऐसी बुद्धि है गई है- ये सब हमारे मंद भाग्य के कारन है। सो ये मंदभागी मुख आपकूँ दिखायबे योग्य नहीं, यासौं नीचौ माथौ कियौ है।।2।।

हे प्यारे, हम ब्रह्मा सौं कहैं हैं कि तैंने हम दुखियान कूँ दुख दैबे कूँ कमर बाँधी है, सो तोकूँ सौगंद है- जो तोपै अधिक ते अधिक दुख होय सो हमकूँ दै, यासौं नीचौ माथौ कियें ठाड़ी हैं।।3।।

हे प्यारे, आपके बचनरूप दावानल सौं हमारौ मनरूप तोता उड्यौ ही नहीं और जरि गयौ, यासौं माथौ नीचौ कियौ है।।4।।

हे प्यारे, हम पृथ्वी सौं कहैं हैं कि प्यारे ने तौ हमकूँ यह उत्तर दियौ; अब तू फटि जाय तौ हम तोमें समाज जायँ, यासौं माथौ नीचौ कियौ है।।5।।

हे प्यारे, आपके मुख सौं निकसी भई जो बचनरूप अग्नि की ज्वाला है, तासौं हमारो मुख भस्म न है जाय, यासौं माथौ नीचौ कियौ है।।6।।

देखौ, बीर! हमारे कुल के धर्म, धीरज, लज्जा-संपूर्ण स्वाहा कराय कैं बेनु-नाद सों बुलाय कैं अब पूछैं हैं कि तुम कैसैं आईं। अब हम कैसैं करें, कहाँ जायँ; याते नीचौ माथौ कियौ है।।7।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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