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श्रीठाकुरजी क शयन-झाँकी
- सरद-रजनी वर्णन
- जदपि सहज माधुरी बिपिन सब दिन सुखदाई,
- तदपि रँगीली सरद समय मिलि अति छबि पाई।
- ज्यौं अमोल नग जगमगाय सुंदर जराय सँग,
- रूपवंत गुनवंत भूरि भूषन भूषित अँग।।
- रजनी-मुख सुख देत ललित मुकुलित जु मालती,
- ज्यौं नव जीबन पाइ लसति गुनवती बाल ती।।
- नव फूलनि सौं फूलि फूल अस लगति लुनाई,
- सरद छबीली छपा हँसत छबि सौं मनु आई।।
- ताही छिन उडुराज उदित रस-रास-सहायक,
- कुमकुम मंडित प्रिया बदन जनु नागर नायक।
- कोमल किरन अरुनिमा बन मैं ब्यापि रही अस,
- मनसिज खेल्यौ फागु घुमड़ि धुरि रह्यौ गुलाल जस।।
- फटकि छरी सी किरन कुंज रंध्रनि जब आई,
- मानौ वितनु बितान सुदेस तनाउ तनाई।
- मंद मंद चलि चारू चंद्रिका अस छबि पाई,
- उझकत हैं पिय रमा रमन कौं मनु तकि आई।।
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