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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीप्रेम-प्रकाश-लीलाश्रीजी- (उठिकैं दौरनौ) चलि, उनके पास चलें; वे कहाँ मिलैंगे?
(दोहा)
सखी- प्यारी! चित्र देख लियौ, अब याकूँ धरि आऊँ? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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