राधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ पृ. 11

श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ

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श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला

श्रीजी- (उठिकैं दौरनौ) चलि, उनके पास चलें; वे कहाँ मिलैंगे?
सखी- (पकरि कैं बैठावै) प्यारी! धीरज धरौ ।
(स्यामसुंदर कौ चित्र श्रीजी कूँ दिखानौ)
पद (राग-तिलक कामोद, ताल-झूमरा)

देख री, नवल नंद किसोर ।
लकुट सौं लपटाय ठाड़े जुबति जन-मन-चोर ।।
चारू लोचन हँसि बिलोकनि देखि कैं चित्त भोर ।
मोहिनी मोहन लगावत लटकि मुकुट-झकोर ।।
स्रवन धुनि सुनि नाद मोहत करत हिरदैं कोर ।
सूर अंग त्रिभंग-सुंदर छबि निरखि तृन तोर ।।
समाजी-

(दोहा)

चित्र देखि भइ चित्र सम, भरि आए जल नैन ।
अंचल सौं पोंछत कुँवरि, बोले जात न बैन ।।

सखी- प्यारी! चित्र देख लियौ, अब याकूँ धरि आऊँ?

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

क्रमांक विषय का नाम पृष्ठ संख्या
1. श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला 1
2. श्रीसाँझी-लीला 27
3. श्रीकृष्ण-प्रवचन-गोपी-प्रेम 48
4. श्रीगोपदेवी-लीला 51
5. श्रीरास-लीला 90
6. श्रीठाकुरजी की शयन झाँकी 103
7. श्रीरासपञ्चाध्यायी-लीला 114
8. श्रीप्रेम-सम्पुट-लीला 222
9. श्रीव्रज-प्रेम-प्रशंसा-लीला 254
10. श्रीसिद्धेश्वरी-लीला 259
11. श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला 277
12. श्रीप्रेमाश्रु-प्रशंसा-लीला 284
13. श्रीचंद्रावली-लीला 289
14. श्रीरज-रसाल-लीला 304
15. प्रेमाधीनता-रहस्य (श्रीकृष्ण प्रवचन) 318
16. श्रीकेवट लीला (नौका-विहार) 323
17. श्रीपावस-विहार-लीला 346
18. अंतिम पृष्ठ 369

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