राधारमण मन्दिर, वृन्दावन
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विवरण | राधारमण मन्दिर, वृन्दावन का प्रसिद्ध मन्दिर है। यहाँ श्री राधारमण जी, ललित त्रिभंगी मूर्ति के दर्शन होते हैं। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | मथुरा |
प्रसिद्धि | हिन्दू धार्मिक स्थल |
कब जाएँ | कभी भी |
वृन्दावन बस अड्डा | |
कार, बस, ऑटो आदि | |
क्या देखें | बांके बिहारी जी, इस्कॉन मन्दिर, निधिवन, रंगनाथ जी मन्दिर। |
कहाँ ठहरें | होटल तथा धर्मशालाएँ आदि। |
एस.टी.डी. कोड | 05664 |
सावधानी | बंदरों से सावधान रहें |
संबंधित लेख | शालिग्राम जी, गोपाल भट्ट गोस्वामी, ब्रज, श्री गोपीनाथ, मदन मोहन मंदिर, द्वारिकाधीश, कृष्ण जन्मभूमि आदि। |
अन्य जानकारी | श्रीराधारमण मन्दिर के पास ही दक्षिण में श्रीगोपाल भट्ट गोस्वामी की समाधि तथा राधारमण के प्रकट होने का स्थान दर्शनीय है। |
अद्यतन | 12:38, 28 जुलाई 2016 (IST)
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राधारमण मन्दिर वृन्दावन का प्रसिद्ध मन्दिर है। इस मन्दिर में गोपाल भट्ट गोस्वामी जी के उपास्य ठाकुर जी हैं। यहाँ श्री राधारमण जी, ललित त्रिभंगी मूर्ति के दर्शन होते हैं। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार यह माना जाता है कि 1599 विक्रम संवत वैशाख शुक्ला पूर्णिमा की बेला में शालिग्राम से श्री गोपालभट्ट प्रेम वशीभूत हो ब्रजनिधि श्री राधारमण विग्रह के रूप में अवतरित हुए थे।
- यह श्रीमन महाप्रभु के कृपापात्र गोपाल भट्ट जी के द्वारा सेवित विग्रह है। भट्ट गोस्वामी पहले एक शालिग्राम शिला की सेवा करते थे। एक समय उनकी यह प्रबल अभिलाषा हुई कि यदि शालिग्राम ठाकुर जी के हस्त-पद होते तो मैं उनकी विविध प्रकार से अलंकृत कर सेवा करता, उन्हें झूले पर झुलाता। भक्तवत्सल प्रभु अपने भक्त की मनोकामना पूर्ण करने के लिए उसी रात में ही 'ललितत्रिभंग श्री राधारमण' रूप में परिवर्तित हो गये। भक्त की इच्छा पूर्ण हुई। भट्ट गोस्वामी ने नानाविध अलंकारों से भूषित कर उन्हें झूले में झुलाया तथा बड़े लाड़-प्यार से उन्हें भोगराग अर्पित किया।
- श्रीराधारमण विग्रह की पीठ शालिग्राम शिला जैसी दीखती है अर्थात पीछे से दर्शन करने में शालिग्राम शिला जैसे ही लगते हैं। द्वादश अंगुल का श्रीविग्रह होने पर भी बड़ा ही मनोहर दर्शन है।
- राधारमण विग्रह का श्री मुखारविन्द गोविन्द जी के समान, वक्षस्थल श्री गोपीनाथ के समान तथा चरणकमल मदनमोहन जी के समान हैं। इनके दर्शनों से तीनों विग्रहों के दर्शन का फल प्राप्त होता है।
- 'सेवाप्राकट्य' ग्रन्थ के अनुसार सम्वत 1599 में शालिग्राम शिला से राधारमण जी प्रकट हुए थे। उसी वर्ष वैशाख की पूर्णिमा तिथि में उनका अभिषेक हुआ।
- राधारमण जी के साथ श्रीराधाजी का विग्रह नहीं है, परन्तु उनके वाम भाग में सिंहासन पर गोमती चक्र की पूजा होती है। श्रीहरिभक्तिविलास में गोमती चक्र के साथ ही शालिग्राम शिला के पूजन की विधि दी गई है।
- श्रीराधारमण मन्दिर के पास ही दक्षिण में श्रीगोपाल भट्ट गोस्वामी की समाधि तथा राधारमण के प्रकट होने का स्थान दर्शनीय है। अन्य विग्रहों की भाँति 'श्री राधारमण जी' वृन्दावन से कहीं बाहर नहीं गये।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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