राणाँजी म्हारी प्रीत पुरबली मैं क्या करूँ? (टेक)
राम नाम बिन घड़ी न सुहावे, राम मिले म्हारा हियरा ठराय।
भोजनिया नहिं भावे म्हाँने, नींदड़ली नहिं आय।।1।।
विष का प्याला भेजिया जी, जावो मीराँ पास।
कर चरणामृत पी गई, म्हारे रामजी को विस्वास।।2।।
विष का प्याला पी गई जी, भजन करे राठोर।
थाँरी मारी ना मरूँ, म्हारो राखणहारो और।।3।।
छापा तिलक बनाविया जी, मन में निश्चय धार।
रामजी काज सँवारिया जी, म्हाँने भावें गरदन मार।।4।।
पेयाँ बासक भेजिया जी, ये है चन्दनहार।
नाग गले में पहरिया जी, म्हारे महलाँ भयो उजार।।5।।
राठोड़ाँ की धीयड़ी जी, सीसोद्यां के साथ।
ले जाती बैकुण्ठ को जी, म्हारी नेक न मानी बात।।6।।
मीराँ दासी राम की जी, राम गरीबनिवाज।
जन मीराँ की राखजो जी, बाँह गहे की लाज।।7।।[1]
राग - आसा माड : ताल - कहरवा
(आत्मेतिहास, पूर्वजन्म)