राजनीतिविद कुशल, राज्य-निर्माता -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा कृष्ण जन्म महोत्सव एवं जय-गान

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राग वसंत - ताल कहरवा


राजनीतिविद कुशल, राज्य-निर्माता, नित्य पूर्ण निष्काम।
सब के दुखहर्ता, सुख-दाता, सब के नित्य सहज हित-धाम॥
परम सखा प्रिय, परम प्रियतम, परम पिता, गुरु, बन्धु ललाम।
सहज सुहृद्‌‌, शरणागत-वत्सल, परम वदान्य, आत्माराम॥
प्रकटे आज देव-मुनि-गो-द्विज-रक्षक सत्य-धर्म-‌आधार।
करो सभी मिल मुक्त-कण्ठ से उन का पुनः-पुनः जय कार॥
जय वसुदेव-देव की-नन्दन, जय नँद-नंद, यशोदा-लाल।
जय प्रेमीजन-मुनि-मन-मोहन, जयति सुकोमल हृदय विशाल॥
जय नँदबाबा, जयति यशोदा, जय गोपी, जय गैया-ग्वाल।
जय वंशी, जय यमुना जय-जय, जय वृन्दावन, द्वापर काल॥
जय वसुदेव, देव की जय-जय, जयति कंस का कारागार।
जय रोहिणि, बलराम जयति जय, जय उद्धव, अक्रूर उदार॥
जय मथुरा-द्वारका जयति जय, पटरानी हरि-‌उर की माल।
जय षोडस सहस्र हरि-गृहिणी, जयति धनंजय कुंती-लाल॥
जय गीता, भारत महान जय, जयति भागवत लीला-सार।
जय प्रेमी-ज्ञानी-जन, करते जो प्रभु का महिमा-विस्तार॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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