रसिक सिरोमनि ढोरि लगावत -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग टोड़ी


रसिक सिरोमनि ढोरि लगावत, गावत राधा राधा नाम।
कुंजभवन बैठे मनमोहन बोलत मुख तेरोई गुन ग्राम।।
स्रवन सुनत प्यारी पुलकित भई, रोम रोम सुख रासी बाम।
'सूरदास' प्रभु गिरिवरधर कौं, चली मिलन गज गति वन धाम।।2451।।

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