रतनभूमि पर चलत बकैयाँ -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

बाल-माधुरी की झाँकियाँ

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राग तोड़ी - तीन ताल


रतनभूमि पर चलत बकैयाँ।
चकित भये अति कान्ह बिलोकत निज मुख-पंकजकी परछैयाँ॥
निज अनुहार निहारि सखा इक, पकरन हेतु पसारी बैयाँ।
पकरि न सके, सखेद हेरि जननी-मुख रोवन लगे कन्हैया॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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